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किताबों का परिचय

चकल्लस

इस पुस्तक में डॉ. रमेश अग्रवाल द्वारा लिखित उन व्यंग्यों का संग्रह है जो समय-समय पर दैनिक नवज्योति एवं दैनिक भास्कर में प्रकाशित होते रहे हैं । डॉ. रमेश अग्रवाल द्वारा सामयिक घटनाओं पर त्वरित व्यंग्य चकल्लस के नाम से प्रकाशित कॉलम के अन्तर्गत ही प्रकाशित होते रहे हैं । ये व्यंग्य प्रदेश स्तर पर चर्चित रहे हैं । ये जब प्रकाशित होते थे लोग कस्बों और शहरों में समूह बनाकर इन्हें पढ़ते एवं इन पर चर्चा करते थे । डॉ. रमेश अग्रवाल की वक्रोक्तियां एवं इनकी लच्छेदार शैली बड़े-बड़े साहित्यकारों द्वारा सराही जाती रही है । इन व्यंग्यों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इनमें घटनाओं से जुड़े वास्तविक लोगों के वास्तविक नाम से ही कटाक्ष किया गया है । इस निर्भीकता के लम्बे समय तक जीवित रहने का असली राज इनकी सद्भाविकता रहा है । डॉ. रमेश अग्रवाल ने अपने व्यंग्य के माध्यम से न तो किसी दल विशेष का कभी पक्ष लिया और न किसी व्यक्ति विशेष के विरुद्ध दुर्भावना पूर्वक ही कोई टिप्पणी की ।


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सिटी रिपोर्टिंग

यह डॉ. रमेश अग्रवाल की ताजातम पुस्तक है । यह पुस्तक भी पत्रकारिता पर ही लिखी गई है । इस पुस्तक में सिटी रिपोर्टिंग की विशेषिकृत विधा पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है । शहरों, कस्बों एवं ग्रामीण अंचल में काम करने वाले रिपोर्टस एवं संवाददाताओं के व्यावहारिक ज्ञान वद्र्धन के साथ-साथ विश्वविद्यालय स्तर पर पत्रकारिता का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों के लिये भी यह पुस्तक अत्यन्त उपयोगी है ।


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भीड़ में तन्हाइयां

डॉ. रमेश अग्रवाल सिर्फ एक पत्रकार ही नहीं एक शायर भी हैं । इस पुस्तक में डॉ. अग्रवाल द्वारा रचित गज़ल व दोहे प्रकाशित हैं । सुप्रसिद्ध शायर कुंवर बेचैन, राजेश रेड्डी एवं कुमार शिव द्वारा अनुशंसित इस गज़ल संग्रह को गजल प्रेमियों का भरपूर आशिर्वाद प्राप्त हुआ है । डॉ. रमेश अग्रवाल की गजलों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये गेय हैं । इस गजल संग्रह का विमोचन 2014 में एक भव्य कार्यक्रम के दौरान जब हुआ तब इस संग्रह की गजलों की संगीतमय प्रस्तुति की गई थी ।


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व्यावहारिक समाचार संकलन व लेखन

डॉ. रमेश अग्रवाल की इस पुस्तक को भी राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी द्वारा ही प्रकाशित किया गया है । पुस्तक की सबसे पहली विशेषता इसके नाम के साथ ही शुरु होती है । व्यावहारिक समाचार संकलन एवं लेखन । पत्रकारिता के अध्येताओं के लिये ज्यादातर पुस्तकें सैद्धान्तिक ज्ञान के आधार पर लिखी गई हैं । इस पुस्तक में लेखक ने अपने लम्बे पत्रकारिता जीवन के व्यावहारिक अनुभव को उडेलने का प्रयास किया है । समाचार पत्रों के दैनन्दिन कामकाज तथा वहाँ होने वाली प्रक्रियाओं का इस पुस्तक में विस्तृत वर्णन किया गया है । बीसियों समाचारों के उदाहरणों के माध्यम से सिद्धान्तों को समझाने का प्रयास किया गया है । पत्रकारिता में मौलिक पुस्तकों का अरसे से अभाव महसूस किया जाता रहा है । इस पुस्तक में मौलिक अनुभव के आधार पर ही सिद्धान्त प्रतिपादित करने का प्रयास किया गया है । समाचार लेखन पर पूर्व में लिखी गई हिन्दी पुस्तकों में समाचार लिखने की विधा का तो वर्णन उपलब्ध है मगर समाचार संकलन का भाग पूर्णतया गायब दिखाई देता है । इस पुस्तक में लेखक ने पहली बार व्यावहारिक रिपोर्टिंग को पुस्तक का विशेष भाग बनाया है । बीट क्या होती है, बीट और समाचारों के विषय कैसे निर्धारित किये जाते हैं, डे मीटिंग के क्या फायदे नुकसान हैं, नये न्यूज आइडियाज कैसे विकसित किये जा सकते हैं आदि विषयों पर यह पूर्णतया मौलिक पुस्तक के रूप में सराही गई है




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समाचार परीक्षण

राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में डॉ. रमेश अग्रवाल ने विभिन्न समाचार पत्रों में प्रकाशित लगभग 50 समाचारों का उनके गुणावगुण के आधार पर परीक्षण किया है । पुस्तक में इन सभी समाचारों की उनमें वर्णित तथ्यों, इनकी भाषा, इनके शीर्षक, इनकी शैली, इनकी श्रेणी, व तकनिकी मानदंडों के आधार पर समीक्षा की गई है । इस पुस्तक में यह भी बताया गया है कि इन समाचारों को कैसे और बेहतर बनाया जा सकता था । युवा पत्रकारों एवं पत्रकारिता के विद्यार्थियों द्वारा इस पुस्तक को काफी पसंद किया गया ।


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