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अगस्त 1977 में रमेश अग्रवाल ने दैनिक नवज्योति में एक अनुवादक के रूप में पत्रकारिता आरम्भ की । दैनिक नवज्योति में रहते हुए रमेश अग्रवाल ने डैस्क वर्क के साथ-साथ लम्बे समय तक रिपोर्टिंग का भागदौड़ वाला कार्य भी किया मगर कभी अपनी शारीरिक चुनौती को कमजोरी नहीं बनने दिया । अपने कैरियर के आरम्भिक दिनों में ही इन्होंने पहाड़गंज इलाके का एक स्कूल भवन गिर जाने के बाद 14 मृत बच्चों के घरों पर जो कि ऊंची पहाड़ी पर स्थित थे, अकेले ही जाकर उनकी स्थिति का मार्मिक वर्णन अपने पत्र में किया तथा प्रबन्धन एवं पाठकों की शाबासी प्राप्त की ।
दैनिक नवज्योति में रमेश अग्रवाल ने पूरे 20 वर्ष कार्य किया तथा संस्थान के भीतर अपनी एक खास जगह बनाई । इस दौरान इन्होंने सैकड़ों सम्पादकीय लेख, रिपोटर््स एवं कॉलम लिखे तथा पाठकों का आशिर्वाद प्राप्त किया ।
जून 1997 में रमेश अग्रवाल को दैनिक भास्कर अजमेर के स्थानीय सम्पादक के रूप में नियुक्ति मिली । भास्कर में आने के बाद रमेश अग्रवाल ने पत्रकारिता की कई और नई विधाएं सीखीं तथा अपनी पत्रकारिता को और समृद्ध करने का प्रयास किया ।
वर्ष 2002 में अग्रवाल को भास्कर प्रबन्धन ने राजस्थान का उस समय के सर्वोच्च सम्पादकीय पद सम्पादक (समन्वय) राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपकर प्रदेश स्तर पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर दिया । रमेश अग्रवाल ने पूरे 9 वर्ष तक यह जिम्मेदारी निभाई ।
अपने अजमेर प्रेम के वशीभूत वर्ष 2011 में उन्होंने प्रबन्धन से अनुरोध कर प्रदेश स्तर की जिम्मेदारी छोड़कर अजमेर के स्थानीय सम्पादक पद पर ही दोबारा काम करने की इच्छा प्रकट की जिसे प्रबन्धन ने स्वीकार कर लिया । पिछले 11 वर्ष से रमेश अग्रवाल दैनिक भास्कर अजमेर में यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं |
शैक्षणिक दृïि से दोहरी स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के अतिरिक्त रमेश अग्रवाल ने एल. एल. बी. एवं पी.एच.डी. की डिग्री भी प्राप्त की तथा बी.जे.एम.सी में पूरे राज्य में प्रथम स्थान पर रहकर विश्व-विद्यालय स्वर्ण पदक प्राप्त किया ।
पत्रकारिता सहित विभिन्न विषयों पर बीसियों सेमिनार्स में भाग लेने के अतिरिक्त लम्बे समय तक पत्रकारिता विषय का अध्यापन किया और जयपुर स्थित विश्व-विद्यालयों में पी.एच.डी. गाइड के रूप में कार्य किया ।
रमेश अग्रवाल की लिखी 5 पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो चुकी हैं । एक पुस्तक राजकमल प्रकाशन में प्रकाशनाधीन है ।
Books
राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी
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साहित्यागार - जयपुर
व्यंग्य संग्रह
साहित्यागार जयपुर
राजकमल प्रकाशन-नई दिल्ली-(प्रकाशनाधीन)
My Journey
रमेश अग्रवाल ऐसे व्यक्ति का नाम है जिसे अक्सर लोगो से घिरा देखा जा सकता है | लोग उनसे मिलना चाहते है, उनका अपनत्व पाना चाहते है और उनका स्नेह पाकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते है |
डॉ. रमेश अग्रवाल का मैं महज़ इसलिए प्रशंसक नहीं हु कि वे एक अच्छे जर्नलिस्ट है वरन इसलिए भी की उनमे अनेक ऐसी विशेषताएं है जो मुझे प्रेरित करती है | उनकी वाणी मधुर है | वे अत्यंत सहृदय और सवेदनशील है |
डॉ. रमेश अग्रवाल | एक ऐसी शख्सियत, एक ऐसे पत्रकार, जिनका कोई सानी नहीं | इकलोते | विशिष्ट | विलक्षण | उनके व्यक्तित्व का शब्दचित्र बनाना, उनकी पत्रकारिता की लम्बी यात्रा को एक छोटे से आलेख में समेटना मुश्किल है |
रमेश जी ने अपने सपने को मूर्त रूप देते हुए "अजयमेरु प्रेस क्लब' की स्थापना की जिसमें मुझ सहित साहित्य से जुड़े मित्रों को सम्बद्ध सदस्य बनाकर कलम के सिपाहियों को कदमताल करने के लिए खुला मैदान उपलब्ध करवाया
डॉ. रमेश अग्रवाल की छवि अजमेर में पत्रकारिता के पुरोधा के रूप में ही है । हालांकि यह सत्य होने के साथ-साथ यह भी सत्य है कि उनकी बहुमुखी प्रतिभा नैसर्गिंक रूप से उन्हें अन्य विविध विधाओं में भी निष्णात सिद्ध करती है
रमेश जी के हर आत्मीय व्यक्ति ने उनके साथ रहकर जीवन सीखा, बुरे दिनों और बुरे लोगों के बीच में किस तरह अटल और निर्विकार बनकर रहा जाना चाहिए
डॉ. रमेश अग्रवाल जी का व्यक्तित्व आरम्भ से ही मुझे प्रभावित करता रहा है । वे स्पï वक्ता हैं । अंदर-बाहर एक जैसे हैं और बहुत सöदय व्यक्तित्व के धनी हैं । उनसे जब भी मिलना होता है, अपने को भीतर से भरा-भरा पाता रहा हूँ । शायद इसलिए कि संपादक, पत्रकार होने के साथ ही वह बहुत उम्दा इंसान हैं ।
जिन बंधुओं को रमेश भाई साहब ने अपनत्व दिया, उनका सहयोग किया, नौकरी लगाकर पदोन्नति दिलाकर, पुलिस अथवा प्रशासन से सहयोग दिलाकर, मानसिक अथवा आर्थिक सबल देकर, ऐसे लोगों ने भी बदले में कई बार उनके साथ नकारात्मक व्यवहार किया मगर इन्होंने उन्हें न सिर्फ माफ किया, बल्कि आवश्यकता होने पर उन्हें पुन: सहयोग भी दिया ।
इसमें कोई दो राय नहीं कि डॉ. रमेश अग्रवाल अजमेर की पत्रकारिता के स्तंभ हैं । यूं तो पत्रकारिता से अजमेर का नाता आजादी से पहले का रहा है । लेकिन मौजूदा समय में कहा जा सकता है कि डॉ. रमेश अग्रवाल अजमेर की पत्रकारिता के स्तंभ है । शारीरिक परेशानियों के बाद भी डॉ. अग्रवाल पत्रकारिता की चुनौतियों को स्वीकार करते हैं ।
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